दिसामाजी काहीतरी लिहित जावे ..प्रसंगी अखंडित वाचित जावे .... संत रामदास स्वामी
एक अर्सा गुजर गया यहां आते आते... उम्र भी दराज हो गयी है अब...
अलविदा कहना है यारों मगर... ना जाने दिल का करार होगा कब...
पल बन जाते है लम्हे... लम्हे बन जाती है यादेँ...
जातो रहा हूँ दोस्तों... मगर करके फिर मिलनेके वादे...
- संवादी