Friday, November 6, 2015

मैं और किस्मत

हम तो जिन्दगीके थपेड़ोंसे लड़ते लड़ते शहीद हो गये...
कहनेको दोस्त बहुत थे मगर ना जाने सबने कब किनारा कर दिया...

अगर खुदा चाहता तो हमारी जिंदगी सवार सकता था...
मगर मेरी किस्मत तो देखो खुदा ने भी हमें किस्मत का हवाला दे दिया

ऐसा लगा था किसी रोज हमारी किस्मत का सितारा बुलंदी पे होगा
अपनी झोलीमे ख़ुशी डालने से पहलेही उपरवाला नौ दो ग्यारह हो गया

- संवादी

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