ऐ जिंदगी चल फुरसत में हिसाब करने बैठते है...
तू थोड़ी अपनी कह...हम थोड़ी अपनी कहते है...
हो सके तो मेरे बिछड़े हुए कुछ हसीं पल मुझे लौटा दे...
ख़ुशी का सागर नहीं दे सकता तो दो-चार जाम ही पिला दे...
याद है ना तेरे पास मैंने अपना बचपन गिरवी रखा है ...
उसका सूद तो मै लौटा ना सका मगर बदले में तू बुढ़ापा मत दे...
तूने सितम तो बहुत किये...बहुत कुछ छीन लिया हमसे...
सब कुछ ले ले मगर जाने के बाद दो गज जमीन पे हम हक़ दिखायेंगे दिलसे ...
तू थोड़ी अपनी कह...हम थोड़ी अपनी कहते है...
हो सके तो मेरे बिछड़े हुए कुछ हसीं पल मुझे लौटा दे...
ख़ुशी का सागर नहीं दे सकता तो दो-चार जाम ही पिला दे...
याद है ना तेरे पास मैंने अपना बचपन गिरवी रखा है ...
उसका सूद तो मै लौटा ना सका मगर बदले में तू बुढ़ापा मत दे...
तूने सितम तो बहुत किये...बहुत कुछ छीन लिया हमसे...
सब कुछ ले ले मगर जाने के बाद दो गज जमीन पे हम हक़ दिखायेंगे दिलसे ...
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